Constitution of india Act,hindi

भारत का संवैधानिक विकास (Constitutional Development of India)RegultingAct1773,1784Pittes IndiaAct,charterAct1853,charterAct1833,charterAct1813,Government of IndiaAct1935,Act1919,Act1947.Act1909

Act

2Regulating Act of 1773 |रेग्यूलेटिंग एक्ट1773 ई०

भारत का संवैधानिक विकास
ईस्ट इण्डिया कम्पनी के अन्तर्गतब्रिटिश क्राउन के अन्तर्गत
रेग्युलेटिंग एक्ट 1773भारत शासन अधिनियम 1858
पिट्स इण्डिया एक्ट 1784भारत परिषद् अधिनियम – 1861
चार्टर एक्ट 1793भारत परिषद् अधिनियम 1892
चार्टर एक्ट 1813भारत परिषद् अधिनियम 1909
चार्टर एक्ट 1833भारत शासन अधिनियम 1919
चार्टर एक्ट 1853भारत शासन अधिनियम 1935
भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

1773 Act के अन्तर्गत कलकता प्रेसीडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता के उपयोग संयुक्त रूप से करते थे।कलकता में 1774 में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कीजिसमें मुख्य न्यायाधीश सर एलिजाह इम्पे थे।भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के कार्यों को नियमित और नियंत्रित करने की दिशा में ब्रिटिश सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम था। इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को बंगाल का गवर्नर जेनरल पद नाम दिया गया मुम्बई एवं मद्रास के गवर्नर को इसके अधीन किया गया। इस एक्ट के तहत बनने वाले प्रथम गवर्नर जेनरल लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स थे।

2.1Indian Constitution 1781,Act ऑफ सेटलमेंट

.1881Act बंगाल, बिहार और उड़ीसा की पूर्ण सरकार को कानून का समर्थन करना ताकि राजस्व सुचारू रूप से एकत्र किया जा सके।

मूल निवासियों के कानूनों और रीति-रिवाजों को बनाए रखना और उनकी रक्षा करना।

2.3 1784,Pitt’s Indian Constitution Act |1784पिट्स इण्डिया एक्ट

1784,pittsAct अधिनियम ने ईस्ट इंडिया कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स- वाणिज्यिक और बोर्ड ऑफ कंट्रोलर– राजनीतिक गतिविधियों के बीच अंतर किया। पहली बार ‘भारत में ब्रिटिश आधिपत्य’ शब्द का प्रयोग किया गया। इस अधिनियम ने ब्रिटिश सरकार को भारतीय प्रशासन पर सीधा नियंत्रण प्रदान कर दिया।इस एक्ट के द्वारा दोहरे प्रशासन का प्रारंभ हुआ, कंपनी ब्रिटिश सरकार के अधीन हो गई, जैसा कि 1773 Actके पिछले विनियमन अधिनियम के विपरीत था , जहां सरकार केवल मामलों को ‘विनियमित’ करने की कोशिश करती थी, नियंत्रण लेने की नहीं। इस अधिनियम ने अपने भारतीय क्षेत्रों के नागरिक और सैन्य प्रशासन में ब्रिटिश क्राउन का अधिकार स्थापित किया। वाणिज्यिक गतिविधियों पर अभी भी कंपनी का एकाधिकार था।

2.4Indian Constitution1793Charter Act|चार्टर अधिनियम

इसActने भारत में सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाया। वे सिविल सेवा के सदस्यों को मजिस्ट्रेट, राष्ट्रपति नगरों के लिए सफाईकर्मी के रूप में भर्ती कर सकते थे इसके द्वारा नियंत्रण बोर्ड के सदस्यों तथा कर्मचारियों केवेतनादि को भारतीय राजस्व में से देने की व्यवस्था की गयी।इसने भारत में सर्वोच्च न्यायालय के अधिकार क्षेत्र का दायरा बढ़ाया। वे सिविल सेवा के सदस्यों को मजिस्ट्रेट, राष्ट्रपति नगरों के लिए सफाईकर्मी के रूप में भर्ती कर सकते थे

3Indian Constitution 1813 Charter Act

1813 के चार्टरAct अधिनियम ने भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी के एकाधिकार को समाप्त कर दिया, चीन के साथ व्यापार और भारत के साथ चाय के व्यापार में कंपनी का एकाधिकार बरकरार रखा गया। कंपनी का शासन अगले 20 वर्षों के लिए बढ़ा दिया गया।

1813 चार्टरAct अधिनियम, जिसे वित्तीय धारा के रूप में भी जाना जाता है, का उपयोग भारतीय साहित्य के पुनरुद्धार, विज्ञान के विकास और भारत के शिक्षा क्षेत्र में निगम की विस्तारित जिम्मेदारियों के अधिग्रहण में सहायता के लिए किया गया था।

इस कारण रु. 100000 अलग रखे गए।इस अधिनियम ने उन व्यक्तियों को अनुमति दे दी जो नैतिक और धार्मिक सुधारों को बढ़ावा देने के लिए भारत जाना चाहते थे। (ईसाई मिशनरी) यह अधिनियम कंपनी के क्षेत्रीय राजस्व और वाणिज्यिक मुनाफे को नियंत्रित करता था।

 इसेAct अपने क्षेत्रीय और वाणिज्यिक खातों को अलग रखने के लिए कहा गया था। कंपनी का लाभांश 10.5% प्रति वर्ष तय किया गया। यह भी प्रावधान था कि कंपनी रुपये का निवेश करेगी। ।

3.1Indian Constitution1833Charter Act

1833 charter Actबंगाल का गवर्नर-जनरल अनन्य विधायी शक्तियों के साथ भारत का गवर्नर जनरल बन गया। बॉम्बे और मद्रास प्रेसीडेंसी अपनी विधायी शक्तियों से वंचित हो गई। भारत के गवर्नर जनरल को नागरिक एवं सैन्य शक्तियाँ दी गईं। पहली बार भारत में अंग्रेज़ों के कब्ज़े वाले पूरे क्षेत्र पर अधिकार रखने के लिये ‘भारत सरकार’ बनाई गई थी। भारत के प्रथम गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक थे।भारत में दास प्रथा को विधि विरुद्ध घोषित कर दिया गया तथा 1843 में उसका उन्मूलन कर दिया गया।इसके द्वारा कम्पनी के व्यापारिक अधिकार पूर्णतः समाप्त कर दिये गये। 2. अब कम्पनी का कार्य ब्रिटिश सरकार की ओर से मात्र भारत का शासन करना रह गया।भारतीय कानूनों का वर्गीकरण किया गया तथा इस कार्य के लिए विधि आयोग की नियुक्ति की व्यवस्था की गयी। लॉर्ड मैकाले की अध्यक्षता में प्रथम विधि आयोग का गठन किया गया।

3.2 Indian Constitution1853 Charter Act

1853 Actकोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स की संख्या जहां 24 थी, अब चार्टरAct1853 के द्वारा इनकी संख्या 24 से घटाकर 18 कर दी गई थी और इन 18 कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स में से 6 व्यक्तियों को ब्रिटिश ताज द्वारा नियुक्त किया जायगा।

भारत में मंत्रिपद की व्यवस्था की गयी। पन्द्रह सदस्यों की ‘भारत परिषद् का सृजन हुआ। (8 सदस्य ब्रिटिश सरकार द्वारा एवं 7 सदस्य कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा ) भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया। मुगल सम्राट के पद को समाप्त कर दिया गया। इस अधिनियम के द्वारा बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स तथा बोर्ड ऑफ कन्ट्रोल को समाप्त कर दिया गया।

भारत में शासन संचालन के लिए ब्रिटिश मंत्रिमंडल में एक सदस्य के रूप में भारत के राज्य सचिव (Secretary of State for India) की नियुक्ति की गयी। वह अपने कार्यों के लिए ब्रिटिश संसद के प्रति उत्तरदायी होता था।

भारत के गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया।

सिविल सेवा संबंधी प्रमुख तथ्य

सिविल सेवा के लिए 1854 में मैकाले समिति का गठन किया गया था।

पहले भारतीय सिविल सेवक सत्येन्द्रनाथ टैगोर थे। वे सिविल सेवा में 1863 में चयनित हुए थे।

दूसरे भारतीय सिविल सेवक रमेश दत्तथे। वे सिविल सेवा में 1869 में चयनित हुए थे।

सुभाष चंद्र बोस सिविल सेवा में 1920 में चयनित हुए थे किंतु 1 वर्ष के अंदर ही उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया था। 1935 के अधिनियम के तहत केंद्रीय स्तर पर संघीय लोक सेवा आयोग और प्रांतों में प्रांतीय

लोक सेवा आयोगों की स्थापना की गई।

नोट- इसके पश्चात् के सभी संविधानिक सुधार क्राउन के शासन के अधीन किए गए।

3.3 1861 Act Indian Constitution

1861Act ई० का भारत परिषद अधिनियम 1. गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी परिषद् का विस्तार किया गया, 2. विभागीय प्रणाली का प्रारंभ हुआ (लाई केनिंग द्वारा), 3. गवर्नर जनरल को पहली बार अध्यादेश जारी करने की शक्ति प्रदान की गयी। 4. गवर्नर जेनरल को बंगाल, उत्तर- पश्चिमी सीमा प्रांत और पंजाब में विधान परिषद् स्थापित करने की शक्ति प्रदान की गयी ।

3.4 1873 Act Indian Constitution

इस अधिनियम द्वारा यह उपबन्ध किया गया कि ईस्ट इंडिया कंपनी

को किसी भी समय भंग किया जा सकता है। 1 जनवरी, 1884 को ईस्ट इंडिया कंपनी को औपचारिक रूप से भंग कर दिया गया।

3.5 शाही उपाधि अधिनियम, 1876Act Indian Constitution

1876Act अधिनियम द्वारा गवर्नर जनरल की केन्द्रीय कार्यकारिणी में

छठे सदस्य की नियुक्ति कर उसे लोक निर्माण विभाग का कार्य सौपा गया। 28 अप्रैल, 1876 को एक घोषणा द्वारा महारानी विक्टोरिया को भारत की सम्राज्ञी घोषित किया गया।

3.6 1892’Indian Council Act’

1892इस Actअधिनियम में अतिरिक्त सदस्यों की संख्या केन्द्रीय परिषद में बढ़ाकर कम से कम 10 व अधिकतम 16 कर दी गयी। बम्बई तथा मद्रास की कौंसिल में भी 20 अतिरिक्त सदस्य, उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत व बंगाल की कौंसिल में भी 20 अतिरिक्त सदस्य नियुक्त किये गये। परिषद के सदस्यों को कुछ अधिक अधिकार मिले।इसके द्वारा राजस्व एवं व्यय अथवा बजट पर बहस करने तथा कार्यकारिणी से प्रश्न पूछने की शक्ति दी गई। वार्षिक बजट पर वाद-विवाद व इससे सम्बन्धित प्रश्न पूछे जा सकते थे, परन्तु मत विभाजन का अधिकार नहीं दिया गया था। अतिरिक्त सदस्यों को बजट से सम्बन्धित विशेष अधिकार था, किन्तु वे पूरक प्रश्न नहीं पूछ सकते थे। अतिरिक्त सदस्यों में से 2/5 सदस्य ग़ैर सरकारी होने चाहिए। ये सदस्य भारतीय समाज के विभिन्न वर्गों, जातियों, व विशिष्ट हितों के आधार पर नियुक्त किये गये। यह परम्परा कालान्तर में भारतीय राष्ट्रीय एकता के विकास में बाधक बनी। इस अधिनियम द्वारा जहाँ एक ओर संसदीय प्रणाली का रास्ता खुला तथा भारतीयों को कौंसिलों में अधिक स्थान मिला, वहीं दूसरी ओर चुनाव पद्धति एवं ग़ैर सदस्यों की संख्या में वृद्धि ने असन्तोष उत्पन्न किया।

41909(मार्ले-मिन्टो सुधार)’Indian Council Act’ Indian Constitution

इसने केंद्रीय विधान परिषद में आधिकारिक बहुमत बरकरार रखा लेकिन प्रांतीय विधान परिषदों को गैर-आधिकारिक बहुमत की अनुमति दी।

इस अधिनियम में पहली बार मुस्लिम समुदाय के लिए पृथक् प्रतिनिधित्व का उपबन्ध किया गया। इसके अन्तर्गत मुस्लिम सदस्यों का चुनाव मुस्लिम मतदाता ही कर सकते थे। इस प्रकार इस अधिनियम ने सांप्रदायिकता को वैधानिकता प्रदान की और लॉर्ड मिंटो को साम्प्रदायिक निर्वाचन के जनक के रूप में जाना

केन्द्रीय और प्रान्तीय विधान परिषदों को पहली बार बजट पर वाद-विवाद करने, सार्वजनिक हित के विषयों पर प्रस्ताव पेश करने, पूरक प्रश्न पूछने और मत देने का अधिकार मिला।

इसने (पहली बार) भारतीयों को वायसराय और गवर्नरों की कार्यकारी परिषदों के साथ जोड़ने का प्रावधान किया । सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा वायसराय की कार्यकारी परिषद में शामिल होने वाले पहले भारतीय बने। उन्हें कानून सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया था। भारतीय मामलों के राज्य सचिव की परिषद में दो भारतीयों को नामांकित किया गया था।

इसने केंद्रीय और प्रांतीय दोनों विधान परिषदों के आकार में काफी वृद्धि की । केंद्रीय विधान परिषद में सदस्यों की संख्या 16 से बढ़ाकर 60 कर दी गई। प्रांतीय विधान परिषदों में सदस्यों की संख्या एक समान नहीं थी।

4.2( माण्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार)’Government of India Act of 1919 AD

वर्ष 1921 में मांटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों को लागू किया गयाप्रांतों में द्वैध शासन के जनक ‘लियोनस कार्टियस’ थे।केन्द्र में द्विसदनात्मक विधायिका की स्थापना की गयी- प्रथम राज्य परिषद् तथा दूसरी केन्द्रीय विधानसभा ।नए सुधारों के तहत अब केंद्रीय विधानमंडल के सदस्य को सरकार से प्रश्न पूछने, पूरक प्रश्न करने, स्थगन प्रस्ताव पारित करने तथा बजट के हिस्से पर मतदान करने का अधिकार था लेकिन अभी भी बजट के 75% हिस्से पर मतदान का अधिकार प्राप्त नहीं था। विधायिका का गवर्नर जनरल और उसकी कार्यकारी परिषद पर वस्तुतः कोई नियंत्रण नहीं था।

निम्न सदन की संरचना: निम्न सदन में 145 सदस्य थे, जो या तो मनोनीत थे या अप्रत्यक्ष रूप से प्रांतों से चुने गए थे।

इसका कार्यकाल 3 वर्ष था। 41 मनोनीत (26 आधिकारिक और 15 गैर-सरकारी सदस्य) 104 निर्वाचित (52 जनरल, 30 मुस्लिम, 2 सिख, 20 विशेष)।

उच्च सदन की संरचना: उच्च सदन में 60 सदस्य थे। इसका कार्यकाल 5 वर्ष का था और इस सदन में केवल पुरुष सदस्य को ही शामिल किया गया था।

26 मनोनीत 34 निर्वाचित (20 जनरल, 10 मुस्लिम, 3 यूरोपीय और 1 सिख सदस्य) ।

भारत में पहली बार महिलाओं को वोट देने का अधिकार मिला।

प्रांतों में द्वैध शासन प्रणाली का प्रवर्त्तन किया गया। इस योजना के अनुसार प्रान्तीय विषयों को दो उपवर्गों में विभाजित किया गया— आरक्षित तथा हस्तान्तरित ।

आरक्षित विषय थे— वित्त, भूमि कर, अकाल सहायता, न्याय, पुलिस, पेंशन, आपराधिक जातियाँ (criminal tribes), छापाखाना, समाचारपत्र, सिंचाई, जलमार्ग, खान, कारखाना, बिजली, गैस, वॉयलर, श्रमिक कल्याण, औद्योगिक विवाद, मोटरगाड़ियाँ, छोटे बन्दरगाह और सार्वजनिक सेवाएं आदि।

हस्तान्तरित विषय : 1. शिक्षा, पुस्तकालय, संग्रहालय, स्थानीय स्वायत्त शासन, चिकित्सा सहायता, 2. सार्वजनिक निर्माण विभाग, आबकारी, उद्योग, तौल तथा माप, सार्वजनिक मनोरंजन पर नियंत्रण, धार्मिक तथा अग्रहार दान आदि। 3. आरक्षित विषय का प्रशासन गवर्नर अपनी कार्यकारी परिषद् के माध्यम से करता था, जबकि हस्तान्तरित विषय का प्रशासन प्रान्तीय विधान मंडल के प्रति उत्तरदायी भारतीय मंत्रियों के द्वारा किया जाता था। 4. द्वैध शासन प्रणाली को 1935 ई० के एक्ट के द्वारा समाप्त कर दिया गया। 5. भारत सचिव को अधिकार दिया गया कि वह भारत में महालेखा परीक्षक की नियुक्ति कर सकता है। 6. इस अधिनियम ने भारत में एक लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया

4.3 Government of India Act of 1935

अधिनियम में 451 धाराएँ और 15परिशिष्ट थे।इस अधिनियम में प्रस्तावना का अभाव था।

भारत के संविधान में केन्द्र और राज्यों के मध्य किया गया शक्तियों का विभाजन भारत सरकार अधिनियम, 1935 पर आधारित है।भारत के राष्ट्रपति को अध्यादेश (Ordinance) निर्गत करने की शक्ति मूलतः किस अधिनियम से प्रेरित है?

-भारत शासन अधिनियम, 1935 से

केन्द्र में द्वैध शासन व्यवस्था (Diarchy System) किस अधिनियम के द्वारा लागू की गयी थी?

-भारत शासन अधिनियम, 1935केन्द्र में द्वैध शासन की स्थापना कुछ संघीय विषयों (सुरक्षा, वैदेशिक संबंध धार्मिक मामलों) को गवर्नर जेनरल के हाथों में सुरक्षित रखा गया अन्य संघीय विषयों की व्यवस्था के लिए गवर्नर जेनरल को सहायता एवं परामर्श देने हेतु मंत्रिमंडल की व्यवस्था की गयी, जो मंत्रिमंडल व्यवस्थापिका के प्रति उत्तरदायी था ।

ब्रिटिश भारत में किस अधिनियम में संघीय शासन का प्रावधान था ?

-भारत शासन अधिनियम, 1935ब्रिटिश संसद की सर्वोच्चता इस अधिनियम में किसी भी प्रकार के परिवर्तन का अधिकार ब्रिटिश संसद के पास था। प्रान्तीय विधान मंडल और संघीय व्यवस्थापिका इसमें किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं कर सकते थे।

अखिल भारतीय संघ स्थापित करने का प्रावधान किस अधिनियम में किया गया था?

भारत शासन अधिनियम, 1935अखिल भारतीय संघ : यह संघ 11 ब्रिटिश प्रान्तों, 6 चीफ कमीश्नर के क्षेत्रों और उन देशी रियासतों से मिलकर बनना था, जो स्वेच्छा से संघ में सम्मिलित हों। प्रान्तों के लिए संघ में सम्मिलित होना अनिवार्य था, किन्तु देशी रियासतों के लिए यह ऐच्छिक था। देशी रियासतें संघ में सम्मिलित नहीं हुई और प्रस्तावित संघ की स्थापना संबंधी घोषणा पत्र जारी करने का अवसर ही नहीं आया।

इसके द्वारा बर्मा को भारत से अलग कर दिया गया। अदन को इंग्लैंड के औपनिवेशिक कार्यालय के अधीन कर दिया गया और बरार को मध्य प्रांत में शामिल कर लिया गया।

1947 ई० का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम

ब्रिटिश संसद में 4 जुलाई, 1947 को ‘भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम’ प्रस्तावित किया गया, जो 18 जुलाई, 1947 को स्वीकृत हो गया। इस अधिनियम में 20 धाराएँ थीं। इस अधिनियम के प्रमुख प्रावधान निम्न हैं-1. दो अधिराज्यों की स्थापना : 15 अगस्त, 1947 को भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्य बना दिये जायेंगे, और उनको ब्रिटिश सरकार सत्ता सौंप देगी। सत्ता का उत्तरदायित्व दोनों अधिराज्यों की संविधान सभा को सौंपी जायेगी। 2. भारत एवं पाकिस्तान दोनों अधिराज्यों में एक-एक गवर्नर जनरल होंगे, जिनकी नियुक्ति उनके मंत्रिमंडल की सलाह से की जायेगी। 3. संविधान सभा का विधान मंडल के रूप में कार्य करना- जब तक संविधान सभाएँ संविधान का निर्माण नहीं कर लेतीं, तब तक वे विधान मंडल के रूप में कार्य करती रहेंगी। 4. भारत मंत्री के पद समाप्त कर दिये जायेंगे। 5.1935 के भारतीय शासन अधिनियम द्वारा शासन जबतक संविधान सभा द्वारा नया संविधान बनाकर तैयार नहीं किया जाता है; तबतक उस समय 1935 के भारतीय शासन अधिनियम द्वारा ही शासन होगा। 6. देशी रियासतों पर ब्रिटेन की सर्वोपरिता का अन्त कर दिया गया। उनको भारत या पाकिस्तान, किसी भी अधिराज्य में सम्मिलित होने और अपने भावी संबंधों का निश्चय करने की स्वतंत्रता प्रदान की गयी

President of India List Hindi

FAQs

Regulating Act of 1773 |रेग्यूलेटिंग एक्ट1773 ई०

इस एक्ट के अन्तर्गत कलकता प्रेसीडेंसी में एक ऐसी सरकार स्थापित की गई, जिसमें गवर्नर जनरल और उसकी परिषद के चार सदस्य थे, जो अपनी सत्ता के उपयोग संयुक्त रूप से करते थे।कलकता में 1774 में एक सर्वोच्च न्यायालय की स्थापना कीजिसमें मुख्य न्यायाधीश सर एलिजाह इम्पे थे।

1784,Pitt’s India Act |1784पिट्स इण्डिया एक्ट

ईस्ट इंडिया कंपनी की बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स- वाणिज्यिक और बोर्ड ऑफ कंट्रोलर– राजनीतिक गतिविधियों के बीच अंतर किया। पहली बार ‘भारत में ब्रिटिश आधिपत्य’ शब्द का प्रयोग किया गया।

1947 ई० का भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम

दो अधिराज्यों की स्थापना : 15 अगस्त, 1947 को भारत एवं पाकिस्तान नामक दो अधिराज्य बना दिये जायेंगे, और उनको ब्रिटिश सरकार सत्ता सौंप देगी। सत्ता का उत्तरदायित्व दोनों अधिराज्यों की संविधान सभा को सौंपी जायेगी। 2. भारत एवं पाकिस्तान दोनों अधिराज्यों में एक-एक गवर्नर जनरल होंगे, जिनकी नियुक्ति उनके मंत्रिमंडल की सलाह से की जायेगी।

1853 Charter Act

भारत में मंत्रिपद की व्यवस्था की गयी। पन्द्रह सदस्यों की ‘भारत परिषद् का सृजन हुआ। (8 सदस्य ब्रिटिश सरकार द्वारा एवं 7 सदस्य कंपनी के निदेशक मंडल द्वारा ) भारतीय मामलों पर ब्रिटिश संसद का सीधा नियंत्रण स्थापित किया गया।

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